मैच ड्रॉ, पर विवाद जारी
भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए मैनचेस्टर टेस्ट मैच का नतीजा तो ड्रॉ रहा, लेकिन मैच के आखिरी दिन ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर खेल भावना को लेकर विवाद छिड़ गया। इंग्लैंड टीम चाहती थी कि भारतीय बल्लेबाज़ रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर हाथ मिलाकर मैच खत्म कर दें, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने बल्लेबाज़ी जारी रखी।
सचिन तेंदुलकर ने दिया करारा जवाब
अब इस पूरे विवाद पर भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा:
“हम क्यों हैंडशेक करें? इंग्लैंड अगर हैरी ब्रूक से गेंदबाज़ी कराना चाहता है, तो वह उनकी चॉइस है। यह भारत की समस्या नहीं है। वॉशिंगटन और जडेजा ने शतक लगाए, वह ड्रॉ के लिए खेल रहे थे, न कि रिकॉर्ड के लिए। अगर वह आउट हो जाते तो भारत मैच हार सकता था।”
सचिन के इस बयान से साफ है कि उन्होंने खिलाड़ियों का पक्ष लिया और इंग्लैंड की रणनीति पर सवाल उठाए।
कैसी रही सीरीज?
- भारत ने एजबेस्टन टेस्ट 336 रन से जीता
- इंग्लैंड ने तीसरा टेस्ट जीतकर वापसी की
- ओवल टेस्ट में सिराज की शानदार गेंदबाज़ी से भारत ने हार टाली
- मैनचेस्टर टेस्ट ड्रॉ रहा
इस तरह सीरीज 2-2 से बराबरी पर खत्म हुई, लेकिन आखिरी टेस्ट के आखिरी दिन ने खेल भावना, रणनीति और क्रिकेट की परंपराओं को लेकर बहस छेड़ दी है।
क्या है विवाद की जड़?
दरअसल, मैच के आखिरी कुछ ओवरों में इंग्लैंड ने अपने मुख्य गेंदबाज़ों को विश्राम दिया और हैरी ब्रूक जैसे पार्ट-टाइम गेंदबाज़ को लाया। इंग्लिश टीम का इशारा था कि भारत मैच खत्म करे और हाथ मिलाए, लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और अंत तक टिके रहे।
इस व्यवहार को कुछ ने “खेल भावना के खिलाफ” बताया, जबकि कई पूर्व खिलाड़ियों और विशेषज्ञों ने भारतीय खिलाड़ियों के फैसले को सही ठहराया।
निष्कर्ष
IND vs ENG मैनचेस्टर टेस्ट विवाद ने यह दिखा दिया कि क्रिकेट केवल स्कोर और विकेट का खेल नहीं है, बल्कि यह रणनीति, मानसिकता और सम्मान का भी खेल है। सचिन तेंदुलकर के बयान से इस बात को और बल मिला है कि खेल भावना का मतलब किसी की सहूलियत नहीं, बल्कि टीम के हित में सही निर्णय लेना होता है।