भारत के कांग्रेस प्रधानमंत्री और उनका कार्यकाल
पंडित जवाहरलाल नेहरू (15 अगस्त 1947 – 27 मई 1964)
- स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री।
- आधुनिक भारत की नींव रखी – IIT, AIIMS, ISRO जैसे संस्थानों की स्थापना।
- पंचवर्षीय योजनाएं, औद्योगिकीकरण और गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व।
- चीन युद्ध 1962 में मिली हार को लेकर आलोचना भी झेली।
गुलजारीलाल नंदा
- कार्यकाल: 27 मई 1964 – 9 जून 1964 व 11 जनवरी 1966 – 24 जनवरी 1966
- दो बार अंतरिम प्रधानमंत्री बने, नेहरू और शास्त्री के निधन के बाद।
लाल बहादुर शास्त्री (9 जून 1964 – 11 जनवरी 1966)
- “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया।
- 1965 भारत-पाक युद्ध में बहादुरी से नेतृत्व किया।
- हरित क्रांति की नींव रखी, ताशकंद समझौते में भाग लिया।
इंदिरा गांधी
- कार्यकाल: 24 जनवरी 1966 – 24 मार्च 1977, और 14 जनवरी 1980 – 31 अक्टूबर 1984
- 1971 भारत-पाक युद्ध में निर्णायक विजय, बांग्लादेश का निर्माण।
- बैंकों का राष्ट्रीयकरण, गरीबी हटाओ अभियान।
- 1975–77 का आपातकाल विवादों में रहा, ऑपरेशन ब्लू स्टार भी एक विवादास्पद निर्णय।
राजीव गांधी (31 अक्टूबर 1984 – 2 दिसंबर 1989)
- सूचना क्रांति की शुरुआत, टेलीकॉम और कंप्यूटर युग की नींव रखी।
- पंचायती राज को मजबूती, युवाओं को राजनीति में भागीदारी का अवसर।
- शाहबानो केस और बोफोर्स घोटाले जैसे विवादों में फंसे।
पी. वी. नरसिम्हा राव (21 जून 1991 – 16 मई 1996)
- भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की।
- डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाकर विदेशी निवेश के द्वार खोले।
- एलपीजी (Liberalization, Privatization, Globalization) नीति लागू की।
- बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान प्रधानमंत्री रहे।
डॉ. मनमोहन सिंह (22 मई 2004 – 26 मई 2014)
- दो कार्यकाल तक प्रधानमंत्री रहे।
- भारत की जीडीपी ग्रोथ को नई ऊंचाई पर पहुंचाया।
- आधार योजना, सूचना का अधिकार (RTI), मनरेगा जैसी सामाजिक योजनाएं शुरू कीं।
- न्यूक्लियर डील (US-India) सफल रही, लेकिन 2G, CWG घोटालों के आरोप भी लगे।
प्रमुख योगदान: कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की ऐतिहासिक भूमिका
पंडित नेहरू
- लोकतांत्रिक संस्थाओं की नींव रखी
- वैज्ञानिक सोच और योजना आधारित विकास को बढ़ावा दिया
इंदिरा गांधी
- भारत को सैन्य और कूटनीतिक रूप से सशक्त बनाया
- बांग्लादेश युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई
- आपातकाल के चलते आलोचना झेलनी पड़ी
राजीव गांधी
- भारत की डिजिटल क्रांति की शुरुआत
- पंचायती राज को सशक्त किया
- दूरसंचार और कंप्यूटर शिक्षा में वृद्धि की
पी. वी. नरसिम्हा राव
- भारत को आर्थिक संकट से निकाला
- वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए देश के द्वार खोले
डॉ. मनमोहन सिंह
- स्थिर आर्थिक नेतृत्व
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार
- शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली शासन
निष्कर्ष
भारत के निर्माण में कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की भूमिका ऐतिहासिक और बहुआयामी रही है। जहां एक ओर इन्होंने देश को राजनीतिक, औद्योगिक और वैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाया, वहीं कुछ विवादित निर्णयों जैसे आपातकाल और भ्रष्टाचार के मामलों ने आलोचना भी बटोरी।
फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि आज का आधुनिक भारत काफी हद तक उन्हीं नींवों पर खड़ा है, जो कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने रखी थीं।