भारत की राजनीति में गैर-कांग्रेसी सरकारें अब अपवाद नहीं, बल्कि मुख्यधारा बन चुकी हैं। 1977 में इमरजेंसी के बाद जब पहली बार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, तब से लेकर 2025 तक कई गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों ने देश की बागडोर संभाली और अपने-अपने दौर में बड़े बदलाव किए।
1. मोरारजी देसाई (जनता पार्टी) – 1977 से 1979
- उपलब्धियां: आपातकाल के बाद कांग्रेस को पहली बार हराया, लोकतंत्र की बहाली।
- विवाद: RSS के समर्थन को लेकर राजनीतिक चर्चा।
2. चरण सिंह (जनता पार्टी – लोकदल) – 1979 से 1980
- उपलब्धियां: किसानों के मुद्दों पर फोकस।
- विवाद: बहुमत न मिलने और इंदिरा गांधी द्वारा समर्थन वापसी के कारण केवल 6 महीने में इस्तीफा।
3. वी.पी. सिंह (जनता दल – नेशनल फ्रंट) – 1989 से 1990
- उपलब्धियां: मंडल कमीशन लागू कर OBC को आरक्षण, राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत।
- विवाद: आरक्षण नीति पर देशभर में विरोध और समर्थन की लहर।
4. चंद्रशेखर (जनता दल – समाजवादी) – 1990 से 1991
- उपलब्धियां: सीमित कार्यकाल में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने का प्रयास।
- चुनौती: आर्थिक संकट और कांग्रेस के बाहरी समर्थन पर निर्भरता।
5. अटल बिहारी वाजपेयी (भाजपा – एनडीए)
- कार्यकाल: 1996 (13 दिन), 1998–2004
- उपलब्धियां: पोखरण परमाणु परीक्षण, कारगिल युद्ध में विजय, स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना, पहले स्थिर गैर-कांग्रेसी 5 साल का कार्यकाल।
6. नरेंद्र मोदी (भाजपा – एनडीए) – 2014 से वर्तमान (2025)
- उपलब्धियां:
- धारा 370 हटाना (जम्मू-कश्मीर)
- तीन तलाक कानून
- GST लागू
- डिजिटल इंडिया अभियान
- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण
- कोविड-19 से निपटने के प्रयास
- G20 अध्यक्षता और विदेश नीति में मजबूती
- वर्तमान स्थिति: वैश्विक मंच पर भारत की सशक्त छवि और कई आर्थिक-सामाजिक सुधार जारी।
संक्षिप्त कालरेखा (Timeline)
- 1977: आपातकाल के बाद जनता पार्टी की जीत, मोरारजी देसाई पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री।
- 1989–1991: वी.पी. सिंह और चंद्रशेखर के छोटे लेकिन ऐतिहासिक कार्यकाल, मंडल आयोग का क्रियान्वयन।
- 1996: पहली बार भाजपा केंद्र में आई, 1999 में स्थायी बहुमत से NDA सरकार।
- 2014 से वर्तमान: भाजपा का सबसे लंबा गैर-कांग्रेसी शासन, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का वैश्विक प्रभाव बढ़ा।
निष्कर्ष
जहां कांग्रेस ने भारत को लोकतांत्रिक और औद्योगिक ढांचा दिया, वहीं गैर-कांग्रेसी सरकारों ने देश को वैश्विक, तकनीकी और वैचारिक रूप से नए आयाम दिए। आज भारत में गैर-कांग्रेसी राजनीति केवल विकल्प नहीं, बल्कि राजनीतिक मुख्यधारा का अहम हिस्सा बन चुकी है।