पहल्गाम आतंकी हमले के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। इसी बीच कांग्रेस सांसद और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने कहा है कि अब पाकिस्तान को भारत की ओर से एक “दृश्य सैन्य प्रतिक्रिया” का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि देश इसे चाहता है और सरकार इससे पीछे नहीं हट सकती।
शशि थरूर ने कहा, “यह एक लंबी चली आ रही प्रवृत्ति है। पाकिस्तान सीमा पार से आतंकियों को प्रशिक्षण, हथियार और मार्गदर्शन देता है, फिर हमले के बाद जिम्मेदारी से इनकार करता है। बाद में विदेशी खुफिया एजेंसियों तक द्वारा इसकी पुष्टि होती है।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2016 में उरी हमले और 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे प्रतिशोधी कदम उठाए थे। थरूर ने संकेत दिया कि इस बार भारत का जवाब और भी सख्त हो सकता है।
“हमारे पास कूटनीतिक, आर्थिक, खुफिया साझा करने, गुप्त और खुले सभी तरह के विकल्प मौजूद हैं। लेकिन इस बार कोई न कोई सैन्य कार्रवाई अवश्य होगी,” उन्होंने कहा।
बिलावल भुट्टो के ‘खून बहेगा’ बयान पर थरूर का करारा जवाब
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि निलंबित किए जाने पर ‘खून बहेगा’ जैसी उकसाऊ टिप्पणी की थी।
इस पर पलटवार करते हुए शशि थरूर ने कहा, “यह केवल भड़काऊ बयानबाज़ी है। पाकिस्तान को समझना चाहिए कि वे भारतीयों को बिना परिणाम के नहीं मार सकते। हम पाकिस्तानियों के खिलाफ कुछ नहीं करना चाहते, लेकिन अगर वे हमारे खिलाफ कोई हरकत करते हैं तो उन्हें जवाब भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर खून बहेगा, तो शायद उनका ज़्यादा बहेगा।”
बढ़ते तनाव: समझौते टूटे, सीमाओं पर हलचल
पहल्गाम के “मिनी स्विट्ज़रलैंड” कहे जाने वाले खूबसूरत इलाके में हुए हमले को आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद का सबसे घातक आतंकी हमला बताया जा रहा है। हमले के पीछे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ होने के संकेत मिले हैं।
भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और बिगड़ चुके हैं। वीजा रद्द होने से लेकर सिंधु जल संधि के खत्म होने तक दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। वहीं, नियंत्रण रेखा (LoC) पर भी तनाव चरम पर है और पाकिस्तान लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रहा है।
पाकिस्तान, जिसे विश्वभर में “आतंकवाद का गढ़” कहा जा रहा है, ने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौते, जिसमें शिमला समझौता भी शामिल है, को निलंबित कर दिया है।